Thursday, 15 May 2014

करेंट अफेयर्स प्रश्नोत्तर मार्च 2014-विस्तृत उत्तरीय प्रश्न          

01-APR-2014

onlinegkpoint.blogspot.in आपको विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं के दृष्टिकोण से उपयोगी करेंट अफेयर्स के विस्तृत उत्तरीय प्रश्नों की एक श्रृंखला उपलब्ध करा रहा है.
1. निम्नलिखित कौन हैं, और वे किस कारण हाल में खबरों में रहें?  (प्रत्येक का उत्तर 20 शब्दों में लिखो.)
a. अरविंद भट्ट
b. लक्ष्मी 
c. पंकज मिश्रा
d. डा. वर्तिका नंदा
e. एन किरण कुमार रेड्डी
f. न्यायमूर्ति बी.एन. श्रीकृष्णा

2. निम्नलिखित में से प्रत्येक पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए.
a. इंडीपेंडेंट स्पिरिट अवार्ड 2014 
b. इंटरनेशनल वुमन ऑफ द करेज अवार्ड 
c. क्रीमिया
d. संतोष ट्राफी
e. येल साहित्य पुरस्कार
f. एक्सचेंज ट्रेडिड फंड 

3. किस स्वायत्तशासी क्षेत्र की स्थानीय संसद ने रूस में शामिल होने का फैसला लिया? उस क्षेत्र विशेष के बारे में बताएं.

4. किस शास्त्रीय संगीत गायक को राष्ट्रीय शिखर प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया?  भारतीय शास्त्रीय संगीत में इनके योगदान का वर्णन कीजिए.  

5. वह  कौन सी दवा है जिसपर लगा प्रतिबंध हाल ही में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हटा लिया ? संबंधित दवा के बारे में बताएं.

6. लेशन इन लीडरशिप पुस्तक किस भारतीय प्रधानमंत्री से संबंधित है?  उनके प्रधानमंत्रीत्व काल की महत्वपूर्ण घटनाओं को बताएं.

7. हाल ही में नूर इनायत खान पर किस ब्रिटिश संस्था ने डाक टिकट जारी किया? नूर इनायत खान  के बारे में बताएं.

8. हाल ही में आर्थिक शक्तियों के समूह देशों के संगठन  जी-7 ने किस देश को  जी-8 से बाहर कर दिया?  जी-8 के बारे में संक्षिप्त विवरण दें.

9. किस फिल्म अभिनेता  को अर्थ आवर  2014  का ब्रांड एम्बेसडर बनाया गया ? अर्थ आवर  क्या है इसके बारे में बताएं.

10. किस अमेरिकन कंपनी ने भारत में ‘स्टेमसेल बैंक’ सेवा मुफ्त में शुरू करने की घोषणा की है? स्टेमसेल के बारे में बताएं.


सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से मैनुअल स्कैवेंजर एक्ट लागू करने को कहा

 29-MAR-2014

सर्वोच्च न्यायालय ने 27 मार्च 2014 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को मैला ढोने के लिए कर्मचारियों को रखने पर रोक लगाने और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 को लागू करने का निर्देश दिया.
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ती पी सदाशिवम, न्यायमूर्ती पी सदाशिवम राजन गोगोई और न्यायमूर्ती एन. वी. रमन वाले तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ ने मैला ढोने वाले लोगों को उनके काम से मुक्त करने और उनकी भावी पीढ़ियों को इस अमानवीय प्रथा से आजाद करने से संबंधित निर्देशों की एक सूची जारी की.
इसके साथ ही, सर्वोच्च न्यायालय ने मानव मल को नंगे हाथों, झाड़ू या धातु के जरिए हटाने की भी निंदा की.
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जारी किए गए निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने मैला ढ़ोने वालों के पुनर्वास के लिए निर्देशों की सूची जारी की है जिसमें नकद सहयोग, शिक्षा और अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं के जरिए लाभ पहुंचाना शामिल है.
•    योग्यता और इच्छा के मुताबिक हर एक परिवार के कम से कम एक सदस्य को आजीविका कौशल का प्रशिक्षण दिया जाए और पुनर्वास अवधि के दौरान उन्हें मासिक वजीफा भी दिया जाए. इसके अलावा, परिवार के एक व्यस्क सदस्य को वैकल्पिक व्यवसाय हेतु सब्सिडी या रियायती दर पर ऋण मुहैया कराया जाए.
•    सीवर में होने वाली मौतों को संबोधित करते हुए कोर्ट ने यह सलाह दी की आपातकालीन परिस्थितियों में भी बिना सुरक्षा उपायों के सीवर लाइन में जाने को अपराध माने जाने का सुझाव दिया.  और इस प्रकार होने वाली मौत के लिए मृतक के परिवार को 10 लाख रुपयों का मुआवजा दिया जाए.
•    मैला ढोने वाले कर्मचारी के तौर पर नौकरी करने वालों को आवासीय जमीन या बने– बनाए मकान या ऐसे निर्माण कराने के लिए उनकी योग्यता और इच्छा के हिसाब से पैसा दिया जाए.
•    मैनुअल स्कैवेजिन से मुक्त हुए लोगों को अपने कानूनी अधिकार हासिल करने में मुश्किलें नहीं आनी चाहिए.
•    महिला सफाई कर्मचारियों को उनकी पसंद के मुताबिक सम्मानजनक आजीविका के लिए सहायता प्रदान की जानी चाहिए.
•    रेलवे को ट्रैक पर मैला ढोने वालों को हटाने के लिए समयबद्ध रणनीति अपनानी चाहिए.
पृष्ठभूमि
सर्वोच्च न्यायालय का यह फैसला सफाई कर्मचारी आंदोलन द्वारा रिट याचिका पर आया है. रिट याचिका में यह कहा गया था कि मैला ढोने वालों को मुख्यधारा की जातियां अछूत मानती हैं और सामाजिक रूप से उनका बहिष्कार करती हैं. इसके अलावा, शुष्क शौचालय न सिर्फ आज भी पाए जा रहे हैं बल्कि कई राज्यों में इनकी संख्या बढ़ी है और अब यह 96 लाख के आंकड़े तक पहुंच चुका है. फिर भी आज की तारीख में अनुसूचित जाति के सफाई कर्मचारी इसे साफ करते हैं.
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के साल 2002– 03 के आंकड़ों के मुताबिक देश में मैला ढोने वालों की संख्या 676009 है और उनमें से 95 फीसदी दलित हैं.

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