Thursday, 15 May 2014

February 2014 Current Affairs

“लेवरेजिंग इकोनॉमिक ग्रोथ फॉर कलेक्टिव प्रोस्पेरिटी इन साउथ एशिया” नामक पुस्तक का विमोचन


लेवरेजिंग इकोनॉमिक ग्रोथ फॉर कलेक्टिव प्रोस्पेरिटी इन साउथ एशिया: रशपाल सिंह, सुचा सिंह गिल और नीतू गौर (सम्पादक)

भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने नई दिल्ली में “लेवरेजिंग इकोनॉमिक ग्रोथ फॉर कलेक्टिव प्रोस्पेरिटी इन साउथ एशिया” नामक पुस्तक का विमोचन 6 फरवरी 2014 को किया. इस पुस्तक का संपादन रशपाल सिंह, सुचा सिंह गिल और नीतू गौर ने किया.

पुस्तक ग्रामीण अनुसंधान और औद्योगिक विकास केंद्र (सीआरआरआईडी), चंडीगढ़ द्वारा प्रस्तुत किया गया है. इसमें दक्षिण एशिया के उन विशेषज्ञों के चुने गए पेपरों का संकलन है जिन्होंने मार्च 2013 में आयोजित सीआरआरआईडी के सम्मेलन में हिस्सा लिया था. इस किताब में राजनयिकों, शिक्षाविदों और व्यापारियों के योगदान को भी शामिल किया गया है. इसमें दक्षिण एशियाई देशों के बीच समृद्धि के बंटवारे पर भी विचार व्यक्त किया गया है.

स्कॉटलैंड की संसद ने समलैंगिक विवाह विधेयक को मंजूरी दी

स्कॉटलैंड की संसद ने समलैंगिक विवाह विधेयक को 3 फरवरी 2014 को मंजूरी प्रदान की. इसके साथ ही समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने वाला स्कॉटलैंड विश्व का 17वां देश बन गया.
इस कानून के तहत समलैंगिक विवाह धार्मिक स्थलों को छोड़कर शादी करने वाले जोड़े और रजिस्ट्रार की पसंद की किसी भी जगह पर किया जा सकता है. धार्मिक समुदाय ऐसे समारोहों का कोई भी हिस्सा चर्च में कराने के लिए मजबूर नहीं कर सकता. विधेयक लिंग मान्यता प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए लिंग परिवर्तित लोगों को तलाक लेने के बजाए शादीशुदा बने रहने की अनुमति भी देता है.  

ऐसा कर स्कॉटलैंड समलैंगिक शादी को मान्यता देने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है. समलैंगिकों को शादी करने का अधिकार देने वाला पहला देश नीदरलैंड था. वर्ष 2013 में इंग्लैंड और वेल्स, ब्राजील, उरुग्वे, न्यूजीलैंड और फ्रांस ने ऐसा ही समलैंगिक विवाह विधेयक पारित किया था. इसके अलावा अमेरिका और मैक्सिको के कुछ राज्य भी समलैंगिक विवाह के लिए कानून बनाए हैं.

श्रीलंका ने यूएनएचआरसी की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को ठुकराया

श्रीलंका ने संयुक्त राष्ट्र मानावाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग को 25 फरवरी 2014 को ठुकरा दिया. इस अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग के उच्चायुक्त नवी पिल्लै ने श्रीलंका में गृहयुद्ध के बाद की स्थिति पर आई रिपोर्ट के बाद की थी.
पिल्लै ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि श्रीलंका युद्ध के बाद बढ़ते अंतरराष्ट्रीय आरोपों की जांच करने में विफल रहा है. इस रिपोर्ट में मानवाधिकार और मानवीय कानून के सभी कथित उल्लंघन के मद्देनजर अंतरराष्ट्रीय टीम की निगरनी में स्वतंत्र, विश्वसनीय आपराधिक और फॉरेंसिक जांच की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में सच्चाई का पता लगाने और भूतपूर्व युद्ध क्षेत्रों से सैनिक हटाने के लिए श्रीलंकाई सरकार से आग्रह भी किया गया है. अल्पसंख्यकों ,मीडिया और मानवाधिकार रक्षकों पर हमला करने वालों को गिरफ्तार कर दंडित किए जाने की बात भी रिपोर्ट में कही गई है.
 
श्रीलंकाई राष्ट्रपति महिंदाराजपक्षे प्रशासन ने नवी पिल्लै की रिपोर्ट को एकपक्षीय, अनुचित रुप से दखल देने वाला और राजनीतिक प्रकृति का बता कर खारिज कर दिया है. 

एक अन्य घटनाक्रम में यूएनएचसीआर द्वारा श्रीलंका में कथित अत्याचारों और गृह युद्ध के दौरान प्रतिबद्ध युद्ध अपराधों की जांच की विफलता पर अमेरिका एक प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है. इससे पहले भी अमेरिका दो ऐसे प्रस्तावों को सफलतापूर्वक अंजाम दे चुका है जिसमें श्रीलंकाई सरकार ने अपने सरकारी सैनिकों के खिलाफ लगे आरोपों की खुद ही जांच की थी.
 
पृष्ठभूमि
वर्ष 2009 में श्रीलंका के सरकारी सैनिकों और तमिल विद्रोहियों ( लिट्टे) के बीच चल रहा गृह युद्ध समाप्त हो गया. लिट्टे उत्तर और पूर्वी श्रीलंका में तमिल अल्पसंख्यकों के लिए अलग राज्य की मांग को लेकर संघर्ष कर रहा था. सरकारी सैनिकों ने तमिल टाइगर विद्रोहियों को कुचल डाला. हाल ही में उनके सामूहिक कब्र का भी पता चला है.
 
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार 40000 तमिल नागरिक सरकारी हमले में मारे गए हैं जबकि श्रीलंकाई सरकार इससे इंकार कर रही है और बाद में श्रीलंकाई सरकार ने घोषणा की कि इस युद्ध में एक भी नागरिक नहीं मारा गया. वर्ष 2011 में श्रीलंका ने कुछ नागरिकों की मौत को स्वीकार किया और युद्ध में मारे गए लोगों की जनगणना की घोषणा की लेकिन उसका परिणाम बेहद अस्पष्ट था.
 
सरकारी सैनिकों पर जानबूझकर नागरिकों, अस्पतालों पर गोलीबारी करने और हजारों लोगों तक खाद्य सामग्री और स्वास्थ्य सेवाएं न पहुंचने देने का आरोप लगाया गया था. विद्रोहियों पर लोगों को अपनी सुरक्षा ढाल के रूप में पकड़ने, उनके नियंत्रण से भागने की कोशिश करने वालों की हत्या करने और बाल सैनिकों की भर्ती का भी आरोप लगाया गया.


सन एडीसन तमिलनाडु में 18मेगावाट क्षमता वाला सोलर पार्क बनाएगा

अमेरिका की ऊर्जा फर्म सन एडीसन ने तमिलनाडु के तिरुनेलवेली में एक सौर पार्क बनाने की घोषणा 25 फरवरी 2014 को की.
18 मेगावाट (एमडब्ल्यू) क्षमता वाला यह पार्क ऐसे मॉडल पर काम करेगा जिसमें सौर संपत्ति ऐसे ग्राहकों को बेची जाएगी जो या तो खुद सौर संयंत्र के मालिक बनना चाहते हैं या फिर वे त्वरित मूल्यह्रास योजना (Accelerated Depreciation Scheme) का हिस्सा बनना चाहते हैं.  

त्वरित मूल्यह्रास योजना मालिक को स्वामित्व के पहले वर्ष में संपत्ति की लागत को खत्म करने, कर को बचाने और अक्षय ऊर्जा क्रेडिटों को बेचने में मदद करता है.
 
संपत्ति के वे पार्सल जो नहीं बेचे जा सके वह सन एडीसन के होंगे जिन्हें वे दीर्धकालिक बिजली खरीद समझौतों के आधार पर तीसरे पक्ष के उपभोक्ताओं को बेच सकेगें. यह सोलर पार्क 25 वर्षों के लिए बिजली के मूल्यों का निर्धारण करेगा और जीवाश्म ईंधन से बिजली बनाने वालों की लागत को कम करेगा. 

18 एमडब्ल्यू में से 9 एमडब्ल्यू का सोलर मॉड्यूल फिक्स्ड होगा जबकि बाकी का 9 एमडब्ल्यू ट्रैकर मॉड्यूल्स वाला होगा. ट्रैकर मॉड्यूल्स एक ऐसी धुरी पर बनाया जाता है जिसमें सोलर प्लांट सूर्य की गति के हिसाब से पूर्व से पश्चिम की तरफ गतिमान होता रहता है ताकि वह अधिकतम सूर्यकिरण का इस्तेमाल कर सके. फिक्स्ड मॉड्यूल्स जहां एक वर्ष में प्रति मेगावाट करीब 1.6 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करता है वहीं ट्रैकर मॉड्यूल्स करीब 1.86 मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन कर सकते हैं. एक मेगावाट क्षमता वाले एक ट्रैकर मॉडल को लगाने की लागत करीब 8.7 से 8.8 करोड़ रुपये आती है जबकि फिक्स्ड मॉडल में यही लागत प्रति मेगावाट 7.8 करोड़ रुपयों की होती है. 

सन एडीसन ने 18 मेगावाट में से पहले ही 1.5 मेगावाट का निर्माण कर उसे बेच भी दिया है और बाकी का प्रोजेक्ट सितंबर 2014 तक पूरा हो जाने की उम्मीद है.


दिनेश कुमार सर्राफ तेल और प्राकृतिक गैस निगम के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक नियुक्त

दिनेश कुमार सर्राफ को तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) का अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक (सीएमडी) नियुक्त किया गया. दिनेश सर्राफ 28 फरवरी 2014 को सेवानिवृत्त होने वाले सुधीर वासुदेव का स्थान लिया.

लोक उपक्रम चयन बोर्ड (पीएसईबी) ने ओएनजीसी के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक के रूप में दिनेश के. सर्राफ के नाम की सिफारिश 26 फरवरी 2014 को की. 

दिनेश कुमार सर्राफ ओएनजीसी के सीएमडी नियुक्त होने के पूर्व ओएनजीसी विदेश लिमिटेड (ओवीएल) के प्रमुख थे. उन्होंने कंपनी का प्रभार ग्रहण करने के बाद 11 बिलियन डॉलर के 4 सौदे हासिल कर ओवीएल को सफलतापूर्वक एक आक्रामक समुद्रपारीय फर्म के रूप में तब्दील किया है.
  
दिनेश सर्राफ पूर्व में ओएनजीसी के निदेशक (वित्त) के रूप में कार्य कर चुके हैं.

भारत का सबसे बड़ा सौर ऊर्जा संयंत्र मध्य प्रदेश में प्रारम्भ किया गया

भारत की सबसे बड़ी, 130 मेगावाट की वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 26 फरवरी 2014 को मध्य प्रदेश के नीमच के भगवानपुर में शुरू की गई.  
वेलस्पन सौर एमपी परियोजना 305 हेक्टेयर भूमि पर 1100 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित की गई थी. यह 8.05 रुपये प्रति किलोवाट की दर से बिजली की सप्लाई करेगी.
यह परियोजना भारत की सौर क्षमता को 7 प्रतिशत तक बढ़ाएगी.
 
भारत की सौर ऊर्जा क्षमता 
केंद्र सरकार ने 2010 में जवाहरलाल नेहरू राष्ट्रीय सौर मिशन (जेएनएनएसएम) की शुरुआत की थी. भारत के पास 2208 मेगावाट ग्रिड-कनेक्टेड सौर ऊर्जा क्षमता है. जेएनएनएसएम का उद्देश्य भारत को 2022 तक 20000 मेगावाट (या 20 गीगावाट) की सौर ऊर्जा स्थापित क्षमता तक पहुंचाना है.  

भारत में सौर ऊर्जा की उत्पादन-लागत हाल के वर्षों में आधे से भी ज्यादा घटी है. वह तीन वर्ष पहले के 17 रुपये प्रति किलोवाट-घंटे से घटकर 7.50 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा रह गई है. पर यह लागत कोयले (2.50 रुपये रुपये प्रति किलोवाट-घंटा), न्यूक्लियर (3 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा) या प्राकृतिक गैस (5.5 रुपये प्रति किलोवाट-घंटा) की तुलना में अभी भी ज्यादा है.

केंद्र सरकार और एडीबी ने छत्तीसगढ़ में रोड-कनेक्टिविटी सुधारने के समझौते पर हस्ताक्षर किए

केंद्र सरकार और एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्य गलियारों के साथ संपर्क मार्ग सुधारने के लिए 300 मिलियन यूएस डॉलर के कर्ज के लिए एक समझौते पर 26 फरवरी 2014 को हस्ताक्षर किए.

इस परियोजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ रोड मास्टर प्लान के अनुरूप राज्य की 900 किलोमीटर से ज्यादा लंबी सड़कें सुधारना है, जिसमें khandमार्गों का उन्नयन और पुलियों तथा पुलों का मजबूतीकरण शामिल है.
       
परियोजना में कॉन्ट्रैक्ट और प्रोजेक्ट मैनेजमेंट में रोड एजेंसी की क्षमता निर्मित करने और राज्य में एक सड़क परिसंपत्ति प्रबंधन प्रणाली लागू करने के घटक भी हैं, जिनसे बेहतर सड़क-रखरखाव की योजना बनाने में मदद मिलेगी. 
 
ऋण का वित्तपोषण एडीबी के साधारण पूँजी-स्रोतों से की जाएगी. उसकी मूलधन-चुकौती की अवधि 20 वर्ष है और वार्षिक ब्याज एडीबी की लिबोर-आधारित ऋण-सुविधा के अनुसार तय किया गया है.

छत्तीसगढ़ सरकार परियोजना की 428 मिलियन डॉलर की अनुमानित कुल लागत पूरी करने के लिए लगभग 128 मिलियन यूएस डॉलर का प्रतिरूप वित्त (काउंटरपार्ट फायनेंस) उपलब्ध कराएगी.





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